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chhath puja 2024: छठ पूजा क्या होता है,क्यो होता है? जाने यहाँ best विवरण

chhath puja

छठ पूजा क्या होता है,क्यो होता है?

छठ पूजा(chhath puja) एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो मुख्य रूप से भारत के बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाली समुदाय में मनाया जाता है। यह सूर्य देवता (सूर्य) और छठी मैया (ऊर्जा की देवी) को समर्पित होता है और आमतौर पर चार दिनों तक चलता है।

chhath puja मुख्य विवरण:

  1. समय: छठ पूजा आमतौर पर अक्टूबर या नवंबर में, हिंदू चंद्र कैलेंडर के कार्तिक महीने के छठे दिन होती है।
  2. रीतियाँ:
    • नहाय खाय: पहले दिन में भक्त नदी या तालाब में पवित्र स्नान करते हैं और आमतौर पर चावल और दाल का भोजन पकाते हैं।
    • खरना: दूसरे दिन उपवास रखा जाता है, जिसमें शाम तक कुछ नहीं खाया जाता और फिर खीर (चावल की खीर) और फलों का भोग अर्पित किया जाता है।
    • संध्या अर्घ्य: तीसरे दिन, भक्त अस्त होते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं, जिसमें ठेकुआ (एक प्रकार की मिठाई) और फल शामिल होते हैं।
    • उषा अर्घ्य: अंतिम दिन सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जाता है, जिससे पूजा का समापन होता है।
  3. महत्व: छठ पूजा सूर्य देवता के प्रति आभार प्रकट करने और स्वास्थ्य, समृद्धि और कल्याण के लिए आशीर्वाद प्राप्त करने का प्रतीक है।
  4. उत्सव: भक्त नदी किनारे या तालाबों पर इकट्ठा होते हैं, पारंपरिक गीत गाते हैं और पूजा करते हैं। यह त्योहार शुद्धता, भक्ति और सामुदायिक एकता पर जोर देता है। छठ पूजा का त्योहार जीवंतता से भरा होता है, जिसमें भक्तों की तैयारी और समर्पण महत्वपूर्ण होते हैं।

chhath puja kyo hota hai

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छठ पूजा का आयोजन सूर्य देवता और छठी मैया की पूजा करने के लिए किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य सूर्य से आशीर्वाद प्राप्त करना है, क्योंकि सूर्य को जीवन और ऊर्जा का स्रोत माना जाता है। इस पूजा के पीछे कई कारण और मान्यताएँ हैं:

  1. सूर्य देवता का आभार: भक्त सूर्य देवता का आभार व्यक्त करते हैं, जो फसल उत्पादन और जीवन के लिए महत्वपूर्ण हैं। यह पूजा सूर्य की किरणों के स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है।
  2. परिवार की भलाई: भक्त अपने परिवार और प्रियजनों के लिए स्वास्थ्य, समृद्धि और खुशहाली की कामना करते हैं। यह पूजा परिवार में एकता और सामंजस्य लाने का माध्यम भी है।
  3. प्राकृतिक सौंदर्य और पर्यावरण संरक्षण: छठ पूजा नदी, तालाब या जल स्रोतों के किनारे की जाती है, जो लोगों को प्राकृतिक सौंदर्य के प्रति जागरूक करता है और जल के महत्व को दर्शाता है।
  4. सामुदायिक एकता: यह त्योहार समाज के लोगों को एक साथ लाता है, जिससे सामुदायिक एकता और भाईचारे को बढ़ावा मिलता है।
  5. आध्यात्मिक शुद्धता: छठ पूजा में कई कठिन नियम और व्रत होते हैं, जो भक्तों को आत्म-नियंत्रण और भक्ति की ओर प्रेरित करते हैं।

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छठ पूजा सूर्य देवता और छठी मैया की पूजा के लिए होती है, और इसका मुख्य उद्देश्य सूर्य से आशीर्वाद प्राप्त करना है। यह पूजा चार दिनों तक चलती है, जिसमें भक्त विभिन्न अनुष्ठान करते हैं।

चार दिनों का विवरण:

  1. नहाय खाय: पहले दिन भक्त पवित्र स्नान करते हैं और एक विशेष भोजन बनाते हैं, जिसमें आमतौर पर चावल और दाल शामिल होते हैं।
  2. खरना: दूसरे दिन उपवास रखा जाता है, जिसमें भक्त शाम तक कुछ नहीं खाते। शाम को वे खीर और फलों का भोग अर्पित करते हैं।
  3. संध्या अर्घ्य: तीसरे दिन सूर्य को अस्त होते समय अर्घ्य अर्पित किया जाता है, जिसमें ठेकुआ और फल शामिल होते हैं।
  4. उषा अर्घ्य: चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा का समापन किया जाता है।

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छठ पूजा कई कारणों से विशेष है:

  1. सूर्य की पूजा: यह त्योहार सूर्य देवता की पूजा के लिए समर्पित है, जो जीवन और ऊर्जा का स्रोत माने जाते हैं। सूर्य की किरणों को स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
  2. भक्ति और समर्पण: छठ पूजा में भक्तों का समर्पण और भक्ति अद्वितीय होती है। लोग कठिन व्रत रखते हैं और नियमों का पालन करते हैं, जो आस्था और समर्पण को दर्शाता है।
  3. परिवार और सामुदायिक एकता: इस त्योहार का आयोजन परिवारों और समुदायों में एकता को बढ़ावा देता है। लोग मिलकर पूजा करते हैं, जिससे सामुदायिक बंधन मजबूत होते हैं।
  4. प्राकृतिक सौंदर्य: छठ पूजा जल स्रोतों के किनारे मनाई जाती है, जिससे लोगों को प्रकृति के प्रति जागरूकता और पर्यावरण संरक्षण का संदेश मिलता है।
  5. खाद्य परंपरा: छठ पूजा में विशेष व्यंजन बनाए जाते हैं, जैसे ठेकुआ, चावल की खीर, और मौसमी फल। ये व्यंजन त्योहार की विशेषता को और बढ़ाते हैं।
  6. आध्यात्मिक शुद्धता: इस पूजा के दौरान भक्त आत्म-नियंत्रण और ध्यान का अभ्यास करते हैं, जिससे उनकी मानसिक शांति और आध्यात्मिक विकास होता है।

इन सभी कारणों से, छठ पूजा एक विशेष और महत्वपूर्ण त्योहार है, जो न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक पहलुओं को भी जोड़ता है।

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छठ पूजा हर साल हिंदू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है। यह आमतौर पर अक्टूबर या नवंबर में होता है।

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छठ पूजा मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ क्षेत्रों में मनाई जाती है। विशेष रूप से, यह पूजा गंगा, कोसी, और गंडक जैसी नदियों के किनारे बड़े धूमधाम से होती है।

बिहार में, खासकर पटना, गया, और भागलपुर जैसे शहरों में छठ पूजा का बहुत महत्व है। इसके अलावा, दिल्ली और मुंबई में भी बिहार के लोगों द्वारा इस पर्व को बड़े उत्साह से मनाया जाता है। यह पर्व सूर्य देवता की आराधना और प्राकृतिक ऊर्जा के प्रति आभार व्यक्त करने का अवसर है।

chhath puja ko kya banta hai

छठ पूजा के दौरान कई प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं। यह पर्व सूर्य देवता की पूजा के लिए मनाया जाता है, और इस अवसर पर खास खान-पान की तैयारी की जाती है। यहाँ कुछ प्रमुख व्यंजन हैं जो छठ पूजा के दौरान बनते हैं:

  1. ठेकुआ: यह एक प्रकार का मीठा बिस्किट होता है, जिसे गेहूँ के आटे, गुड़ और ड्राई फ्रूट्स से बनाया जाता है।
  2. खीर: चावल और दूध से बनी मीठी खीर भी इस पर्व पर प्रिय होती है।
  3. मिठाइयाँ: गुड़ की मिठाइयाँ, जैसे तिल के लड्डू, भी बनाई जाती हैं।
  4. फruits: छठ पूजा में फलों का विशेष महत्व होता है, जैसे केले, नारियल, और सेब।
  5. सब्जी: आलू और लौकी जैसी सब्जियाँ भी बनाई जाती हैं, जो पूजा के समय भोग के रूप में प्रस्तुत की जाती हैं। छठ पूजा के दौरान ये व्यंजन बहुत ही ध्यान से और पवित्र मंत्रों के साथ बनाए जाते हैं।

chhath puja kaha manaya jata hai

छठ पूजा मुख्य रूप से भारत के निम्नलिखित राज्यों में मनाया जाता है:

  1. बिहार: यह त्योहार बिहार में विशेष धूमधाम से मनाया जाता है, जहां इसे सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।
  2. झारखंड: झारखंड में भी छठ पूजा बड़े उत्साह के साथ मनाई जाती है।
  3. उत्तर प्रदेश: इस राज्य के कई हिस्सों में छठ पूजा की परंपरा है, विशेषकर पूर्वी उत्तर प्रदेश में।
  4. नेपाल: नेपाल में भी यह पर्व खासकर तराई क्षेत्र में बड़े उत्साह से मनाया जाता है।

इसके अलावा, छठ पूजा भारत के अन्य हिस्सों में भी, जहां बिहारी समुदाय रहता है, जैसे कि मुंबई, दिल्ली, कोलकाता, और अन्य शहरी क्षेत्रों में मनाई जाती है। यह पर्व न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक एकता का प्रतीक भी है।

 

 

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